हमारे बॉडी में दिल ऐसा अंग होता है जो हमें जिंदा रखता है। साथ ही ये पूरी बॉडी में खून का संचार करता है। इंसान...
हमारे बॉडी में दिल ऐसा
अंग होता है जो हमें जिंदा रखता है। साथ ही ये पूरी बॉडी में खून का
संचार करता है। इंसान के दिल की धड़कन इसका महत्वपूर्ण पैरामीटर होता है।
लेकिन अगर दिल में छोटी सी भी समस्या हो जाती है तो पूरे शरीर में हजारों
समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि अपने दिल को स्वस्थ रखा
जाएं, ताकि आप हमेशा खुश और तंदुरूस्त रहें।
कई बार देखने में आता है कि व्यक्ति का खान-पान ठीक न होने से भी
दिल की कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जैसे - ज्यादा वसा वाला भोजन खाना,
जिससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। दिल को हेल्दी रखने के लिए हम
सोचते है कि बटर काफी नुकसान पंहुचा रहा है। इसलिए इसके बदले हम वनस्पति
तेल का सेवन करने लगते है। आगर आप भी ऐसा करते है तो सावधान हो जाएं,
क्योंकि एक शोध में ये बात सामने आई है कि वनस्पति तेल दिल के लिए काफी
खतरनाक होता है। यह जोखिमों को कम करने के लिए खास मददगार नहीं है।
अमेरिकी समाचार एजेंसी, युनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) ने हॉवर्ड
टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पबिल्क हेल्थ के वैज्ञानिकों के हवाले से लिखा है कि
संतृप्त वसा के स्थान पर वनस्पति तेलों के इस्तेमाल से आपके दिल की सेहत
में सुधार नहीं होने वाला। शोध में हालांकि पारंपरिक आहार के उन
दिशा-निर्देशों को भी खारिज नहीं किया गया है, जिसके तहत असंतृत्प वसा के
रूप में सोयाबीन, मक्का, जैतून और राई का तेल हृदय रोग के जोखिम कम करने के
लिए जाना जाता है।
इस शोध के सदस्य फ्रैंक हू ने स्पष्ट किया है कि यह
शोध त्रुतिपूर्ण है और इन निष्कर्षो की वजह से मौजूदा स्वास्थ्य आहार के
दिशा-निर्देशों की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए।
इस शोध के लिए प्रतिभागियों के आहार का आकलन किया गया था। इस दौरान
शोधार्थियों को कुछ हैरान करने वाले नतीजे मिले। हालांकि वैज्ञानिकों का
कहना है कि अभी इस जिज्ञासु अध्ययन को समझने में अधिक शोध की जरूरत है,
जिसे कुछ हद तक ओहियो युनिवर्सिटी में पिछले माह हुए शोध ने समर्थन दिया
है।
ओहियो ने अपने एक शोध में देखा था कि मधुमेह और हृदय रोग का जोखिम ऑलिव
के तेल से नहीं, बल्कि अंगूर के बीजों से बने तेल और अन्य तेलों से कम हुआ
था। इसमें लिनोलेनिक अम्ल की उच्च मात्रा होती है, जो शरीर में हृदय रोग के
जोखिम बढ़ाने वाले वसा को कम करता है।
ओहियो युनिवर्सिटी से इस शोध की नेतृत्वकर्ता मार्था बेलुरी ने बताया,
"यहां समस्या यह है कि वनस्पति तेल काफी बदल चुके हैं। अब इनमें लीनोलेनिक
अम्ल की उच्च मात्रा नहीं मिलती है।"
उन्होंने बताया, "इस शोध के निष्कर्षो को जानने के बाद हम हैरान रह गए थे।"